skip to main
|
skip to sidebar
Mei, Mere apne or Sampurn sansar
रविवार, 15 मार्च 2009
कविवर नागार्जुन के निधन के बाद
मत खोजो
तुम मुझको
मैं अब भी
छिपा हुआ हूँ
शब्दों में ,
पुस्तकें
खोलकर देखो मेरी ,
पाऊँगा
उनके अंत;स्थल में ,
मरा नहीं
मैं लीनं हुआ हूँ
आत्मा के
सुंदर आँचल में ,
तन दग्ध हुआ
आवश्यक था
शब्द नहीं बचे थे
मेरी श्वान्सौं में
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Nature
Its Beautiful...
फ़ॉलोअर
ब्लॉग आर्काइव
►
2019
(11)
►
दिसंबर
(3)
►
मार्च
(7)
►
जनवरी
(1)
►
2018
(22)
►
दिसंबर
(6)
►
नवंबर
(8)
►
अक्तूबर
(8)
►
2017
(7)
►
दिसंबर
(4)
►
नवंबर
(1)
►
फ़रवरी
(2)
►
2016
(3)
►
सितंबर
(1)
►
फ़रवरी
(2)
►
2014
(1)
►
सितंबर
(1)
►
2010
(2)
►
मार्च
(2)
▼
2009
(17)
▼
मार्च
(2)
धुम्रपान दंडिका और कवि
कविवर नागार्जुन के निधन के बाद
►
फ़रवरी
(3)
►
जनवरी
(12)
►
2008
(57)
►
दिसंबर
(47)
►
नवंबर
(10)
मेरे बारे में
K.P.Chauhan
Contact 9990350295, 9953783763
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें