बिना सोचे समझे हम क्यो
किसी से भी दोस्ती कर लेते हैं
और फिर धोखा खा लेने के बाद
समझने का प्रयास करने लगते हैं ,
पर तब तक कुछ बच नहीं पाता
क्योँकि पंछी सब दाना चुग लेते हैं
फिर पछताकर मनोभावों को
दिल में बसा हाथ मलते रहते हैं ।
किसी से भी दोस्ती कर लेते हैं
और फिर धोखा खा लेने के बाद
समझने का प्रयास करने लगते हैं ,
पर तब तक कुछ बच नहीं पाता
क्योँकि पंछी सब दाना चुग लेते हैं
फिर पछताकर मनोभावों को
दिल में बसा हाथ मलते रहते हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें