मंगलवार, 20 जनवरी 2009
समीर (वायु)
बहती ही रहती है
पेड़ पौधों को
पशु पक्षियौं को
मानवों और दानवों को
बिना भेदभाव के
स्पर्शता का
स्पंदन सा देती है ,
जिसके पक्ष में
बहती है
उसे आबाद कर देती है ,
पर जिसके विपक्ष में
बहती है
उसे बरबाद भी कर देती है ,
फ़िर भी
हवा तो हवा है
जो हम सभी को
जीवन दान देती है
सोमवार, 19 जनवरी 2009
प्यार के बदले दुत्कार ,क्या कहें व्यवहार या संस्कार पार्ट 1
जब की १९७४ में ही उसका व्यापार एक पार्टनर के सहारे से प्रगति के पथ पर था ,१९७५ में छोटा भाई भी दिल्ली आ गया ,उसे किसी दूसरी जगह पर काम पर लगवा दिया पर वो जितनी तनखा लाता उससे ज्यादा खर्च कर देता क्योकि उसका जीवन भी अभी तक गरीबी और मुफलिसी में बिता था ,दूसरे बड़े भाई को उससे प्यार भी बहुत था इसलिए उसे खर्च करने की पूरी छूट थी वो जितना पैसा भी मांगता ,बिना ये पूछे की वो क्या करेगा दे दिया जाता ,फ़िर उसने दिल्ली में नए नए दोस्त बनाने शुरू कर दिए उनमे कुछ दोस्त ऐसे भी थे जो राजनीती से भी सरोकार रखते थे अत; उसका रुझान भी राजनीती में होता गया और वो काम आदि छोड़कर पूरे दिन इधर उधर ही घूमता रहता था और रात को घर आना और खाना खाना और सो जाना उसकी यही दिनचर्या थी जब उसके भाई ने उसकी गतिविधियाँ देखि तो उसने उसे भी अपने पास ही ५००रुप्या माहवार पर रख लिया तब तक १९७७ में बड़े भाई ने अपनी शादी भी कर ली थी
अपनी शादी करने के बाद सम्पूर्ण परिवार को गाँव से दिल्ली अपने पास बुलवा लिया जिनमे एक बहन एक छोटा भाई और माताजी थी यद्यपि माता जी गाँव में ही रहना चाहती थी परन्तु माता जी ने अपने जीवन में बहुत दुःख झेलकर सभी छोटे -छोटे बच्चों को पाला था अत; बड़े ने सोचा की क्यों ना माताजी का बाकी जीवन सुखद बीते इसलिए माताजी को गाँव में अकेला नही छोड़ा था अपनी माँ के लिए बड़ा जो भी कर सकता था खूब दिल से किया उन्होंने जिस चीज की भी इच्छा जाहिर की उसे उसी समय पूरा किया गया
सन १९७८ के अंत में अपनी बहन की शादी बहुत बड़े घराने में कर दी बड़े घर में शादी का मतलब था अपनी ओकात से ऊपर जाकर शादी में खर्च करना पर बड़े ने अपनी बहन की खुशियों के लिए दिल खोल कर खर्च किया उस समय में अपनी बिरादरी में दूर दूर तक शोर हो गया की ,एक भाई ने अपनी बहन की शादी कितनी अच्छी की ,यद्यपि इस शादी में बड़े की टोटल जमा पूंजी के साथ कुछ रुपया बहार से भी लेना पडा पर अपनी बहन को अपने बापू की कमी महसूस ना होने दी इस शादी के कारण पूरी बिरादरी में नाम हो गया
इसके बाद तो घर में रिश्तेदारों का आना जाना शुरू हो गया और बीच वाले के रिश्ते आने प्रारम्भ हो गए अत; एक दिन उसकी भी शादी बड़े धूमधाम के साथ एक अच्छे घर में कर दी उसमे भी दिल खोलकर पैसा लगाया दो दो रिसेप्सन ,काकटेल जैसी पार्टियां दी सभी रिश्तेदार और गाँव वाले वाह वाह करने लगे इतना सब कुछ इसी लिए किया गया की उसके भाई को भी बापू की कमी महसूस ना हो दूसरे बिरादरी में बड़े आदमी बन्ने का समाचार जाए ताकि बचपन में लगा गरीबी का दाग धुल सके और खानदान का नाम रोशन हो ,और इस शादी के बाद जैसा सोचा था वैसा ही हुआ
समय अच्छा चल रहा था भगवान् की पूरी पूरी क्रपा थी बिजनैस भी पूरे जोर शोर से चल रहा था ,कहते है की ऊपर वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है ठीक वेसा ही बड़े के साथ हो रहा था इसलिए किसी प्रकार की चिंता नही थी सभी कार्य ठीक समय पर हो रहे थे पूरा परिवार बड़े की बहुत इज्जत करता था दोनों छोटे भाई भी पूरी तरह से आज्ञाकारी थे अगर धुप में खड़े होने को कह देते तो चुपचाप खड़े रहते थे अत; दोनों भाइयों को बिजनेस करा दिया एक को प्लास्टिक की दूकान और दुसरे को प्लास्टिक की फेक्टरी लगवा कर दे दी जिसमे बड़े ने लाखो रुपया लगा दिया ये सब कुछ १९८३ तक हो गया था ,काम काज ठीक प्रकार से चल रहा था भगवन की क्रपा थी अत; बड़े भाई ने दोनों भाइयों से कभी कोई हिस्साब या ब्याज तक नही मांगा क्योंकि उसे विश्वास था की जिस दिन भी भाइयों से हिसाब या पैसा मांगेगा वो मना नही करेंगे बल्कि उनके व अपने घरों के सम्पूर्ण खर्चे भी बड़ा ही करता था यानी की रसोई तक का सामान भी बड़े के पैसों से ही आता था यानि की घर के सभी खर्चे बड़ा ही करता था ,शादी ब्याह अथवा लेनदेन में भी कोई सा भाई कुछ भी नही देता था अत; घर में शान्ति भी रहती थी परन्तु उसके बाद भी घर के सभी मैम्बर अन्दर ही अन्दर कुछ ना कुछ स्वांग रचते ही रहते थे परन्तु बड़ा भाई इन बातों को कोई भाव नही देताथा इश्वर की क्रपा थी सभी कार्य सुचारू रूप से चल रहे थे ,चारो और जयजयकार हो रही थी ,उसी समय लोकसभा के लिए चुनावों की घोषणा हो गयी ,
अग्नि
तन मन ह्रदय एवं
मस्तिष्क में समाई है
जिसने द्वेष का
रूप धारण कर
प्रत्येक घर में
समाज में
सम्पूर्ण देश में
हाय तौबा मचाई हुई है
पर हम क्यों भूल गये
जिसने हमें
जीवन दान दिया
पेट की भूख
शांत करती है
वो रोटी भी तो
अग्नि ही से
पकाई हुई है
शुक्रवार, 16 जनवरी 2009
बरसात (वर्षा ) ------२-- शरद पूर्णिमा
प्रेम उमड़ रहा हो अंत;स्थल में
टपक रहा हो अम्रत गंगा जल में
झरने कल - कल करते सुंदर वन में
शरद पूर्णिमा के आँचल में
सोया शशि विभूति बनकर
चकोर करती न्रत्य उर्वशी सम
चन्द्र कांटी की प्रेयशी बनकर
बुधवार, 14 जनवरी 2009
स्वप्न
होता है स्वप्नागमन
कभी अन्तरिक्ष में उड़ान
तो कभी धरा पर विचरण
कभी प्रणय निवेदन
तो कभी समागम
कभी नयनों का मिलन
तो कभी हवाई चुम्बन
कभी भर देते हैं
झोली में सुख आनंद
तो कभी भर देते हैं
अंतर्मन में द्वुंद
कभी प्रांगण में
पुष्पों का ढेर
कभी सोने चांदी के
बर्तनों में भोजन
कभी अश्व रथ पर हो सवार
भ्रमण करते कई सौ योजन
निकल जाते है
मीलों दूर
खुलती हैं आँखें तो
कर रहे होते हैं
बिस्तर पे शयन
छोड़ देते हैं
अमिट छाप
जो मिट नहीं पाती
जाग्रत अवस्था में भी
उनकी भीनी -भीनी गंध
मधुर -मधुर स्वप्न
उनका स्मरण हो जाता है
जिनको कभी देखा था
रात्रि के तिमिर में
नैनौं को मूंदकर
ह्रदय पर पत्थर रख
रुद्रों का आचमन कर
विचलित हो जाता हूँ
आख़िर क्यों ?
मैंने उन्हें रखा
आज तक भी सँजोकर
यद्यपि उन्होंने ही
मुझे प्रेरणा दी
की तू कर्म कर
संघर्ष कर
मर्यादा को त्याग मत
मर्यादा निमित्त कर
मंगलवार, 13 जनवरी 2009
आजादी (स्वतंत्रता )
कभी भी आजादी को
नहीं देखा
क्यों की उसने
कभी भी आकर
मेरे रुद्रों को नहीं पौंछा
जिससे भी मैं मिला
उसी से मैंने पूछा
आजादी कहाँ हैं
तो उसी ने कहा
मैंने भी आज तक
आजादी को नहीं देखा
देश प्रेम
वो शहीद हो गए
रण स्थल में
किंतु रक्त प्रवाहित
ना होने दिया
चूँकि वो जज्ब हो चुका था
सम्पुरण तन स्थल में ,
घाव दीख ना सका
चूँकि वो आवरण युक्त था
स्वयम के करतल में
ये देश प्रेम का
अद्भुत संयोग था
जो लुप्त था
शहीद के अंत;स्थल में
रविवार, 11 जनवरी 2009
आजादी के बाद ५० वर्षों में क्या पाया क्या खोया
क्या पाया क्या खोया
प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति कर
देश का सम्मान बढाया
हरित क्रांति ला देश में
अन्न का भंडार बढाया
श्वेत क्रांति ला देश में
दुग्ध का भंडार बढाया
गाँव गाँव में स्कूल खोलकर
अशिक्षा का अभिशाप मिटाया
उद्योग जगत में नव क्रांति ला
उद्योग धंधों का प्रसार बढाया
अच्छे -अच्छे उत्पादन कर
विदेशों में सम्मान दिलाया
निर्यात को प्राथमिकता देकर
विदेशी मुद्रा का कोष बढाया
पड़ोसी देशों से संपर्क साधकर
प्रेम शान्ति का पाठ पदाया
संस्क्रती का आदान प्रदान कर
एक दूजे को कंठ लगाया
सामाजिक बन्धनों को तोड़कर
छुआ छूट का भेद मिटाया
स्त्री जाती को सम्मान देकर
मानवता का बोध कराया
श्रम शक्ति को बढावा देकर
श्रमिकों का उत्थान कराया
प्रैस को स्वतंत्रता देकर
स्वायत्ता का परचम फहराया
परिवार नियोजन क्रियान्वित कर
जनसँख्या वृद्धि को रुकवाया
बेरोजगारों को रोजगार देकर
गरीबी का प्रतिशत घटाया
धार्मिक ग्रंथों का विवेचन कर
कुरीतियों का किया सफाया
मानसिक दासता के उत्पीडन से
जनता जनार्दन को मुक्त कराया
आंतंकवाद की समाप्ति कर
जनता का मनोबल बढाया
पर जाती पांति को बढावा देकर
जनता को आपस में भिडाया
भ्रष्टाचार को बढावा देकर
अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाया
गरीबी की खाई भरते -भरते
जनता को अति गरीब बनाया
विदेशी कम्पनियों को देश में लाकर
देशी कम्पनियों का किया सफाया
विदेशी बैंकों से कर्जा लेकर
एक पग दासता की और बढाया
वोट की खातिर विदेशियों को
देश में चहुँ और बसाया
अरबों रुपया घोटाले कर -कर
स्विश बैंकों में जमा कराया
गरीब तो अमीर ना बन पाये
पर अमीरों को अति आमिर बनाया
बार -बार विदेशों से भीख मांगकर
देश छवि को नुकसान पहुँचाया
देश भक्त विद्वानों को धता बताकर
मवालियों को संसद पहुँचाया
उन मवालियों संसद पहुंचकर
अपना तांडव नृत्य दिखाया
जिसे देख देश की जनता तो क्या
सम्पूर्ण संसार ने शीश झुकाया
रविवार, 4 जनवरी 2009
एक राजा की कहानी (किसी ने ना जानी )पार्ट ६
उसके तुंरत बाद युवराज ने एंटी सिपेट्री बेल के लिए कोर्ट में अर्जी लगा दी ,कोर्ट से इन्टैरिम बेल मिली और जज ने दस दिन का समय दिया और कहाकि आप जाँच में सहयोग करें जितनी बार भी बुलाएं उतनी बार जाओ और जो पूछे उसका जवाब दे युवराज को आई ओ ने दो बार बुलाया परन्तु युवराज तीन चार बार गए और बार बार कहा कि जो पूछना है सो पूछो और जो भी उन्होंने पूछा सब कुछ बता दिया ,और जब आई ,ओ ने कहा कि उसने सब कुछ पूछ लिया है तो फ़िर भी युवराज ने फोन नंबर देकर कहा कि जब भी बुलाना हो वो ,उनको बुला सकते हैं उसी में वो डी .सी.पि एवं ऐ सी पि को भी मिले और उनको भी बता दिया कि वो कितनी बार आई ,ओ को मिल चुके हैं उस सबके बावजूद भी आई ,ओ ने कोर्ट में कहा कि युवराज ने जाँच में सहयोग नहीं दिया ,अब वो तो समझ ना सके कि किस प्रकार जाँच में सहयोग दिया जाता है ,तन और मन से तो पूरा सहयोग दिया पर अब तीसरी चीज कौन सी है जिसका सहयोग नहीं दिया ,अब तक तीसरी चीज भी आप सब लोग समझ जायेंगे जिसका सहयोग नहीं दिया गया ,इतना सुनते ही जज ने बैल ग्रांट नही कि और आगे युवराज कि या उनके वकील कि सुनी भी नहीं
इसके बाद हाई कोर्ट में अर्जी लगा दी गई ,ये अर्जी कोर्ट में अगस्त में लगायी गई थी अब तक लगभग छ; तारीखें पड़ चुकी हैं जिनमे से पाँच तो मीडीएशन में ही निकल गई पर फायदा कुछ नहीं हुआ क्योंकि छोटा तो केवल पैसे एंठने के लिए दवाब बनाना चाहता है और बेल में बार बार रुकावट डलवाता रहा है यद्यपि जज साहब ने भी फैसला कराने के लिए भरसक प्रयत्न किए पर नतीजा उसकी हठधर्मी के कारन निकला कुछ नही आख़िर जज ने केस को आर्गुमेंट पर लगा दिया अब वो फ़िर बेल में अपने वकीलों से व्यवधान डलवाने की कोशिश करेगा ताकि बेल ना होगी तो वो आसानी से कब्जा कर लेगा ,
यद्यपि जज महोदया ने छोटे को बहुत समझाया की वो फेसला कर ले उसी में उसका और उसके बच्चों का फायदा है तुम ख़ुद भी एडियाँ रगड़ते रहोगे और बच्चों की तरक्की भी नही होगी और जब भिखारी बन जाओगे अपने आप समझ आ जायेगी परन्तु तुम्हारे जीवन का आनंद तो समाप्त हो जाएगा परन्तु वो अपने वकीलों के कहे अनुसार ही करता रहा क्योंकि वकीलों ने तो फेसला होने नही देना क्योंकि वो एक तारीख पर आने के चालीस हजार रूपये ले लेता है ,फ़िर वो फेसला क्यों होने देगा दरअसल वो दोनों पक्षों को भली भांति समझ चुकी थी और हर बार जब वो अपने चेंबर में रीडर को बैल देने हेतु डिक्टेशन देने लगती तभी उनका वकील कहता मैडम जी एक चांस और दे दीजिये और फ़िर उन्होंने दुखी होकर केस को आर्गुमेंट पर लगा दिया ,पर युवराज का मुकद्दर ही ख़राब लगता है क्योकि जिस जज ने केस को भली भांति समझ लिया था वो डिसेम्बर के रोस्टर में चेंज हो गए और अब नए जज इस केस की सुनवाई करेंगे ,अब जज के बदल जाने से छोटा बहुत खुश है क्योंकि अब और दो चार महीने खेंच लेगा या बेल में रुकावट डालने का प्रयत्न करेगा शैतानी दिमांग में क्या हैकौन जान सकता है (दुर्जन मानवा मनोरथा ना जानती देवा;) अब तो युवराज को इश्वर का ही सहारा है क्यों की इस दुनिया में तो शैतान ही शैतान भरे पड़े है उनको तो पैसे दो और जायज नाजायज कुछ भी कामकराओ आज कल यही काम तो कर रहा है छोटा , वैसे वो अब नए आई ,ओ,को पटाने का प्रयत्न कर रहा है और कलेक्ट्रेट मेंभी मोंगा पर दवाब दाल रहा हे की वो रिकॉर्ड को गायब कर दे पर मोंगा अभी तैयार नही हो रहा है (विश्वस्त सूत्रों के आधार पर )उसके बाद युवराज ख़ुद एस .दी एम् को भी मिले पर किसी ने भी माकूल जवाब नही दिया ,सभी का एक जवाब था की इतने वर्षों बाद रिकॉर्ड मिलना असंभव है शायद रजिस्टर खो गया होगा ,इन सबसे दुखी होकर युवराज ने प्रयत्न करना ही छोड़ दिया क्योंकि ये कार्य तो पुलिश वालों का है जब वो इन कार्यालयों से पूछेंगे तो उनको बताना पडेगा ,अब हाई कोर्ट में नए जज श्री सिस्तानी आए हैं उनके पास पहली तारीख पड़ी थी तो उस दिन उसका (बीच वाले का )वकील संदीप सेठी नही आया था अत; अगली तारीख २-२-ओ९ दे दी गई थी उस दिन वकीलों की बाद जज ने हाउस टेक्स केकागज़ और रसीदें मंगवाई हैं ,अत; देखिये अगली तारीख २१-२-०९ को क्या होता है ,वेसे ९-२-०९ को युवराज की कंवीन्स दीद रिस्टोर एल .जी के द्बारा कर दी गयी है इससे भी कुछ रिलीफ तो अवश्य मिलेगा ,वैसे युवराज ने उसको होली तक तो पता नहीं लगने दिया क्योंकि वो फ़िर कोई बखेडा डालने की कोशिस करेगा ,परन्तु होली के रंग वाले दिन उसने युवराज को कुछ खुश देख लिया तो उसने अनुमान लगाकर दिल्ली विकास प्राधिकरण में अपने एक चमचे को फोन कर लिया और उसने सब कुछ उसे बता दिया तो उसके होश फ़ाक्ता हो गए की ऐसा केसे हो सकता है तो वो अगले दिन ही आर्डर की कापी लेने के लिए उसने दिल्ली विकास प्राधिकरण के सभी अफसर जेसे डाइरेक्टर ,कमिश्नर ,लगभग सभी से मिला तो उन्होंने मना कर दिया फ़िर एल ,जी ,हाउस पहुँच गया और काफ़ी बकवास वहाँ पर की ,फ़िर मानव संसाधन मंत्री श्री अर्जुन सिंह जी से मिला और उलटी सीधी कहानी सुनाकर एल ,जी साहब के नाम एक लैटर बनवा लिया की इस केस को भली भांति देख कर मुझे सूचित करें ,वहाँ से युवराज को फोन आया और पूरी बात बतायी गयी ,युवराज तुंरत ही श्री अर्जुन सिंह जी से मिले और पूरी बात साफ़ साफ़ बताई तो उनको समझ आ गयी की प्रेम प्रकाश ने तथ्यों को छुपाया है तो उन्होंने तुंरत ही अपना लैटर एल ,जी साहब से वापस मंगवाने की अनुमति दे दी और युवराज को कहा की उनका पात्र आप बंधुओं के फेसले के बीच में नहीं आयेगा और वो जी साहब ख़ुद समझदार एवं जिम्मेदार हैं में उनके बीच में टीका टिप्पदी क्यों करूंगा ,और युवराज वापस आ गए और उनके इन विचारों से एल जी हाउस को बता दिया
शुक्रवार, 2 जनवरी 2009
समदर्शिता
पुष्प और पत्थर को संग रखके
दोनों मस्तक को छूते हैं
कोई मूर्ति कोई माला बनके
यहाँ पत्थर भी पूज्य हैं
मन्दिर में स्थापित करके
ठोकर से नवाजा जाता है
जब राह में अवरोधक बनते
यहाँ पुष्पों को सराहा जाता है
मूर्ति पै माल्यार्पण करके
उतार कर फैंक दिया जाता
दुर्गन्ध का जब प्रदर्शन करते
गुरुवार, 1 जनवरी 2009
नव वर्ष २००९ हमारे देश हेतु कैसा हो
सम्पूर्ण ब्रहमांड में अलाप हो
सभी देशवासियों का व्यक्तित्व
यश मान सम्रद्धि का प्रताप हो ,
सभी के घरों में खुशियाँ हों
ना किसी को कभी संताप हों
सभी के ह्रदय में देशभक्ति हो
अखंडता का अटूट जाप हो ,
सर्वभोमिक्ता में स्वच्छता हो
विशवास में ना विश्वासघात हो
क्षुधा सदैव सुसुप्त्व ,शांत हो
तृष्णा का ना आभाश हो ,
आतंकवाद सर ना उठा सके
ना कभी भीतरघात हो
दैवीय शक्तियों का वर्चस्व हो
किसी पर ना कुठाराघात हो