शुक्रवार, 2 जनवरी 2009

समदर्शिता

यहाँ भेद ना किया जाता है
पुष्प और पत्थर को संग रखके
दोनों मस्तक को छूते हैं
कोई मूर्ति कोई माला बनके
यहाँ पत्थर भी पूज्य हैं
मन्दिर में स्थापित करके
ठोकर से नवाजा जाता है
जब राह में अवरोधक बनते
यहाँ पुष्पों को सराहा जाता है
मूर्ति पै माल्यार्पण करके
उतार कर फैंक दिया जाता
दुर्गन्ध का जब प्रदर्शन करते

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