समीर जब बहती है
बहती ही रहती है
पेड़ पौधों को
पशु पक्षियौं को
मानवों और दानवों को
बिना भेदभाव के
स्पर्शता का
स्पंदन सा देती है ,
जिसके पक्ष में
बहती है
उसे आबाद कर देती है ,
पर जिसके विपक्ष में
बहती है
उसे बरबाद भी कर देती है ,
फ़िर भी
हवा तो हवा है
जो हम सभी को
जीवन दान देती है
मंगलवार, 20 जनवरी 2009
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