मंगलवार, 20 जनवरी 2009

समीर (वायु)

समीर जब बहती है
बहती ही रहती है
पेड़ पौधों को
पशु पक्षियौं को
मानवों और दानवों को
बिना भेदभाव के
स्पर्शता का
स्पंदन सा देती है ,
जिसके पक्ष में
बहती है
उसे आबाद कर देती है ,
पर जिसके विपक्ष में
बहती है
उसे बरबाद भी कर देती है ,
फ़िर भी
हवा तो हवा है
जो हम सभी को
जीवन दान देती है

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