आजादी के बाद पचास वर्षों में
क्या पाया क्या खोया
प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति कर
देश का सम्मान बढाया
हरित क्रांति ला देश में
अन्न का भंडार बढाया
श्वेत क्रांति ला देश में
दुग्ध का भंडार बढाया
गाँव गाँव में स्कूल खोलकर
अशिक्षा का अभिशाप मिटाया
उद्योग जगत में नव क्रांति ला
उद्योग धंधों का प्रसार बढाया
अच्छे -अच्छे उत्पादन कर
विदेशों में सम्मान दिलाया
निर्यात को प्राथमिकता देकर
विदेशी मुद्रा का कोष बढाया
पड़ोसी देशों से संपर्क साधकर
प्रेम शान्ति का पाठ पदाया
संस्क्रती का आदान प्रदान कर
एक दूजे को कंठ लगाया
सामाजिक बन्धनों को तोड़कर
छुआ छूट का भेद मिटाया
स्त्री जाती को सम्मान देकर
मानवता का बोध कराया
श्रम शक्ति को बढावा देकर
श्रमिकों का उत्थान कराया
प्रैस को स्वतंत्रता देकर
स्वायत्ता का परचम फहराया
परिवार नियोजन क्रियान्वित कर
जनसँख्या वृद्धि को रुकवाया
बेरोजगारों को रोजगार देकर
गरीबी का प्रतिशत घटाया
धार्मिक ग्रंथों का विवेचन कर
कुरीतियों का किया सफाया
मानसिक दासता के उत्पीडन से
जनता जनार्दन को मुक्त कराया
आंतंकवाद की समाप्ति कर
जनता का मनोबल बढाया
पर जाती पांति को बढावा देकर
जनता को आपस में भिडाया
भ्रष्टाचार को बढावा देकर
अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाया
गरीबी की खाई भरते -भरते
जनता को अति गरीब बनाया
विदेशी कम्पनियों को देश में लाकर
देशी कम्पनियों का किया सफाया
विदेशी बैंकों से कर्जा लेकर
एक पग दासता की और बढाया
वोट की खातिर विदेशियों को
देश में चहुँ और बसाया
अरबों रुपया घोटाले कर -कर
स्विश बैंकों में जमा कराया
गरीब तो अमीर ना बन पाये
पर अमीरों को अति आमिर बनाया
बार -बार विदेशों से भीख मांगकर
देश छवि को नुकसान पहुँचाया
देश भक्त विद्वानों को धता बताकर
मवालियों को संसद पहुँचाया
उन मवालियों संसद पहुंचकर
अपना तांडव नृत्य दिखाया
जिसे देख देश की जनता तो क्या
सम्पूर्ण संसार ने शीश झुकाया
रविवार, 11 जनवरी 2009
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