रविवार, 4 जनवरी 2009

एक राजा की कहानी (किसी ने ना जानी )पार्ट ६

आख़िर वो अपनी नेतागिरी ,राजनितिक पहुँच ,सिफारिस एवं पैसे के बल पर युवराज के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज कराने में सफल हो गया ,जब की उससे दो माह पहले वो इस महकमे के सबसे बड़े अधिकारी से मिले थे तो उन्होंने साफ़ तौर पर कहा था कि ये तो सिविल केस है दूसरे फेमिली मैटर है ,क्रिमिनल तो हो ही नहीं सकता इस लिए आपको चिंता करने कि कोई जरुरत नहीं है ,और जब युवराज को पता चला तो वो फ़िर उसी उच्च अधिकारी को मिले और उनसे कहा कि आपने तो ऐसा कहा था कि क्रिमिनल केस ही नहीं बनता फ़िर अब कैसे बना दिया तो उन्होंने साफ़ लहजे में कहा कि हमारी मजबूरी थी क्यों कि जब ऊपर से मंत्रियों ,सांसदों और कमिश्नर और विभागाध्याक्ष्यों के फोन आयेंगे तो केस दर्ज करना ही पड़ेगा (इसका मतलब तो ये हुआ कि डी पी दवाब में काम करती है ) फिर किसी अच्छे आदमी के लिए न्याय कहाँ

उसके तुंरत बाद युवराज ने एंटी सिपेट्री बेल के लिए कोर्ट में अर्जी लगा दी ,कोर्ट से इन्टैरिम बेल मिली और जज ने दस दिन का समय दिया और कहाकि आप जाँच में सहयोग करें जितनी बार भी बुलाएं उतनी बार जाओ और जो पूछे उसका जवाब दे युवराज को आई ओ ने दो बार बुलाया परन्तु युवराज तीन चार बार गए और बार बार कहा कि जो पूछना है सो पूछो और जो भी उन्होंने पूछा सब कुछ बता दिया ,और जब आई ,ओ ने कहा कि उसने सब कुछ पूछ लिया है तो फ़िर भी युवराज ने फोन नंबर देकर कहा कि जब भी बुलाना हो वो ,उनको बुला सकते हैं उसी में वो डी .सी.पि एवं ऐ सी पि को भी मिले और उनको भी बता दिया कि वो कितनी बार आई ,ओ को मिल चुके हैं उस सबके बावजूद भी आई ,ओ ने कोर्ट में कहा कि युवराज ने जाँच में सहयोग नहीं दिया ,अब वो तो समझ ना सके कि किस प्रकार जाँच में सहयोग दिया जाता है ,तन और मन से तो पूरा सहयोग दिया पर अब तीसरी चीज कौन सी है जिसका सहयोग नहीं दिया ,अब तक तीसरी चीज भी आप सब लोग समझ जायेंगे जिसका सहयोग नहीं दिया गया ,इतना सुनते ही जज ने बैल ग्रांट नही कि और आगे युवराज कि या उनके वकील कि सुनी भी नहीं

इसके बाद हाई कोर्ट में अर्जी लगा दी गई ,ये अर्जी कोर्ट में अगस्त में लगायी गई थी अब तक लगभग छ; तारीखें पड़ चुकी हैं जिनमे से पाँच तो मीडीएशन में ही निकल गई पर फायदा कुछ नहीं हुआ क्योंकि छोटा तो केवल पैसे एंठने के लिए दवाब बनाना चाहता है और बेल में बार बार रुकावट डलवाता रहा है यद्यपि जज साहब ने भी फैसला कराने के लिए भरसक प्रयत्न किए पर नतीजा उसकी हठधर्मी के कारन निकला कुछ नही आख़िर जज ने केस को आर्गुमेंट पर लगा दिया अब वो फ़िर बेल में अपने वकीलों से व्यवधान डलवाने की कोशिश करेगा ताकि बेल ना होगी तो वो आसानी से कब्जा कर लेगा ,

यद्यपि जज महोदया ने छोटे को बहुत समझाया की वो फेसला कर ले उसी में उसका और उसके बच्चों का फायदा है तुम ख़ुद भी एडियाँ रगड़ते रहोगे और बच्चों की तरक्की भी नही होगी और जब भिखारी बन जाओगे अपने आप समझ आ जायेगी परन्तु तुम्हारे जीवन का आनंद तो समाप्त हो जाएगा परन्तु वो अपने वकीलों के कहे अनुसार ही करता रहा क्योंकि वकीलों ने तो फेसला होने नही देना क्योंकि वो एक तारीख पर आने के चालीस हजार रूपये ले लेता है ,फ़िर वो फेसला क्यों होने देगा दरअसल वो दोनों पक्षों को भली भांति समझ चुकी थी और हर बार जब वो अपने चेंबर में रीडर को बैल देने हेतु डिक्टेशन देने लगती तभी उनका वकील कहता मैडम जी एक चांस और दे दीजिये और फ़िर उन्होंने दुखी होकर केस को आर्गुमेंट पर लगा दिया ,पर युवराज का मुकद्दर ही ख़राब लगता है क्योकि जिस जज ने केस को भली भांति समझ लिया था वो डिसेम्बर के रोस्टर में चेंज हो गए और अब नए जज इस केस की सुनवाई करेंगे ,अब जज के बदल जाने से छोटा बहुत खुश है क्योंकि अब और दो चार महीने खेंच लेगा या बेल में रुकावट डालने का प्रयत्न करेगा शैतानी दिमांग में क्या हैकौन जान सकता है (दुर्जन मानवा मनोरथा ना जानती देवा;) अब तो युवराज को इश्वर का ही सहारा है क्यों की इस दुनिया में तो शैतान ही शैतान भरे पड़े है उनको तो पैसे दो और जायज नाजायज कुछ भी कामकराओ आज कल यही काम तो कर रहा है छोटा , वैसे वो अब नए आई ,ओ,को पटाने का प्रयत्न कर रहा है और कलेक्ट्रेट मेंभी मोंगा पर दवाब दाल रहा हे की वो रिकॉर्ड को गायब कर दे पर मोंगा अभी तैयार नही हो रहा है (विश्वस्त सूत्रों के आधार पर )उसके बाद युवराज ख़ुद एस .दी एम् को भी मिले पर किसी ने भी माकूल जवाब नही दिया ,सभी का एक जवाब था की इतने वर्षों बाद रिकॉर्ड मिलना असंभव है शायद रजिस्टर खो गया होगा ,इन सबसे दुखी होकर युवराज ने प्रयत्न करना ही छोड़ दिया क्योंकि ये कार्य तो पुलिश वालों का है जब वो इन कार्यालयों से पूछेंगे तो उनको बताना पडेगा ,अब हाई कोर्ट में नए जज श्री सिस्तानी आए हैं उनके पास पहली तारीख पड़ी थी तो उस दिन उसका (बीच वाले का )वकील संदीप सेठी नही आया था अत; अगली तारीख २-२-ओ९ दे दी गई थी उस दिन वकीलों की बाद जज ने हाउस टेक्स केकागज़ और रसीदें मंगवाई हैं ,अत; देखिये अगली तारीख २१-२-०९ को क्या होता है ,वेसे ९-२-०९ को युवराज की कंवीन्स दीद रिस्टोर एल .जी के द्बारा कर दी गयी है इससे भी कुछ रिलीफ तो अवश्य मिलेगा ,वैसे युवराज ने उसको होली तक तो पता नहीं लगने दिया क्योंकि वो फ़िर कोई बखेडा डालने की कोशिस करेगा ,परन्तु होली के रंग वाले दिन उसने युवराज को कुछ खुश देख लिया तो उसने अनुमान लगाकर दिल्ली विकास प्राधिकरण में अपने एक चमचे को फोन कर लिया और उसने सब कुछ उसे बता दिया तो उसके होश फ़ाक्ता हो गए की ऐसा केसे हो सकता है तो वो अगले दिन ही आर्डर की कापी लेने के लिए उसने दिल्ली विकास प्राधिकरण के सभी अफसर जेसे डाइरेक्टर ,कमिश्नर ,लगभग सभी से मिला तो उन्होंने मना कर दिया फ़िर एल ,जी ,हाउस पहुँच गया और काफ़ी बकवास वहाँ पर की ,फ़िर मानव संसाधन मंत्री श्री अर्जुन सिंह जी से मिला और उलटी सीधी कहानी सुनाकर एल ,जी साहब के नाम एक लैटर बनवा लिया की इस केस को भली भांति देख कर मुझे सूचित करें ,वहाँ से युवराज को फोन आया और पूरी बात बतायी गयी ,युवराज तुंरत ही श्री अर्जुन सिंह जी से मिले और पूरी बात साफ़ साफ़ बताई तो उनको समझ आ गयी की प्रेम प्रकाश ने तथ्यों को छुपाया है तो उन्होंने तुंरत ही अपना लैटर एल ,जी साहब से वापस मंगवाने की अनुमति दे दी और युवराज को कहा की उनका पात्र आप बंधुओं के फेसले के बीच में नहीं आयेगा और वो जी साहब ख़ुद समझदार एवं जिम्मेदार हैं में उनके बीच में टीका टिप्पदी क्यों करूंगा ,और युवराज वापस आ गए और उनके इन विचारों से एल जी हाउस को बता दिया

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