सोमवार, 19 जनवरी 2009

अग्नि

अग्नि जो हमारे
तन मन ह्रदय एवं
मस्तिष्क में समाई है
जिसने द्वेष का
रूप धारण कर
प्रत्येक घर में
समाज में
सम्पूर्ण देश में
हाय तौबा मचाई हुई है
पर हम क्यों भूल गये
जिसने हमें
जीवन दान दिया
पेट की भूख
शांत करती है
वो रोटी भी तो
अग्नि ही से
पकाई हुई है

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