रविवार, 30 नवंबर 2008

मेरे हाथ

ये हाथ ही तो है
जिनके माध्यम से
उनपर उकरित रेखाएं
और युग्मों के
विश्लेषण विवेचन मात्र से
बताया जा सकता हे
किसी का भी
भूत -भविष्य -वर्तमान काल
इन्ही के द्वारा
बनते हें इतिहास
लिखे जाते हें लेख
कवितायें रिर्चायें
भाषा और उसका भाष्य
महाभारत - रामायण
वेद और पुराण
सभी का इनके द्वारा
हुआ है निर्माण
संसार के कल्याण हेतु
करते हें हवन
यज्ञ और तर्पण
पहिनाकर पुष्प मालाएं
देवी देवताओ को
करते पुष्प दूध दही
मिष्ठान आदि अर्पण
माता पिता की सुशुरवा करके
बन जाता हैं मानव श्रवण
मानव मात्र की
सेवा करके
कट जाता हे इनका यौवन
फिर भी कोई नहीं पूजता
करवाते पूजा घरों मैं
सब इन्हीं से पूजन
कर्वद्य प्रार्थना करते सभी को
और करते सभी का
अभिनन्दन ।

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