सोमवार, 29 दिसंबर 2008

एक राजा की कहानी (किसी ने ना जानी )पार्ट 4

प्रोपर्टी डीलर होने के कारण भांति -भांति के लोगों का आना जाना लगा रहता ,घर में ही महफ़िल जमने लगीं ,अब उसको लोक लाज की कोई चिंता नहीं रही ऐसा प्रतीत होता था की मानो पागल हो गया हो रात दिन बकवास गाली ग्लोंच करना उसके लिए मामूली बातें हो गयीं ,एक दिन युवराज ने कहा भाई अब तो हद हो चुकी अब तो हमारा पीछा छोड़ ,ऐसे केसे पीछा छोड़ दूँ आख़िर तुम हो तो मेरे भाई ही ,युवराज ने पूछा फ़िर कैसे छोडोगे ,उसने कहा बता देंगे ,चिंता क्यों कर रहे हो ,अब बताओ मै मकान केसे बना सकता हूँ मेरे पास तो इतने पैसे हैं नहीं की मैं बना सकूँ और जब तक मकान नहीं बनेगा तो खाली कैसे करूँ ,वैसे भी तुम इतने बड़े मकान का क्या करोगे इसमे से आधा मुझे ही फ्री में दे दो वेसे भी आपका माल तो पराये ही खाएँगे ,युवराज ने कहा मेरे भाई कुछ तो शर्म कर भगवान् से डर ,अच्छा चलो एक करोड़ रुपया ही दे दो ,कहीं जाकर मकान खरीद लूंगा ,तुम्हारी भी जान छुट जायेगी ,फ़िर इस महल में आराम से रहना , युवराज ने कहा मेरे पास इतने पैसा नहीं है ,वो तो तुमको देना पडेगा ,इस बात को लेकर ज्यादा गरमा-गर्मी ही गई तो उसने युवराज का गिरहबान पकड़ लिया और पीटने हेतु हाथ भी उठाया ,अपनी भाभी और बच्चों को भी ख़ुद और उसके बच्चों ने भी गालियाँ दी आज तो हद ही हो गयी ,जिस माँ के कहने पर युवराज ने अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया आज वो माँ भी खड़ी -खड़ी मुस्कुरा रही थी

इस घटना के अगले दिन युवराज के मेनेजर को उसने बुला कर कहा की युवराज को बोल देना या तो आधा महल दे देवे वरना या तो अन्दर करा दूंगा या ऊपर ही पहुंचा दूंगा ,जब युवराज को इस बात का पता चला तो बहुत क्रोध आया की वो भाई मुझे अन्दर कराना या मरवाने की धमकी दे रहा है जिसको मैंने क्या ना किया या क्या -क्या न दिया ,जिस पर भी युवराज ने विश्वास किया उसी ने उसके साथ विश्वासघात किया ,यानी की अब उसने धमकियां भी देनी शुरू कर दीं ,युवराज ने रिश्तेदारों और पंचों को बुलवाया पर उसकी बदतमीजियों के कारण कोई भी बोलने को तैयार ना था आख़िर ऐसे आदमी से कोई अपनी बेइज्जती क्यों कराये फ़िर कुछ समय और निकल गया ,युवराज ने किसी तरह कहीं से एक करोड़ का इंतजाम किया और किसी को लेकर उसको कहा की चल एक करोड़ ले खाली कर दे तो झपाक से बोला अब तो मुझे दो करोड़ चाहिए ,
इसके बाद तो वो और ओछेपन पर उतर आया ,वो युवराज को भांति -भांति से परेशान करने लगा ,जैसे की कभी पुलिस में झूटी रिपोर्ट लिखवा देना की युवराज उसे परेशान कर रहा है ,कभी चोरी की रिपोर्ट लिखवा कर आना की मेरा भाई मुझे परेशान कर रहा है ,कभी युवराज ने उसकी गाड़ी में टक्कर मार दी ,कभी उसने घर को गोदाम बना रखा है ,उसके रिश्तेदारों को घर में नहीं आने देता ,कभी उसके कुत्ते की तंग तोड़ दी ,आदि आदि ,दो चार बार पुलिस महल पर आई पर जब पुलिस ने युवराज के बारे में पड़ोस में पूछा तो उन सबने एक सुर में कहा की युवराज निहायत ही शरीफ है ,तब कहीं पुलिस ने घर पर आना छोड़ा परन्तु उसको डाटा फ़िर भी नही कहने का तात्पर्य है की उसने युवराज का जीना मुश्किल कर दिया अब वो पुरी तरह निम्न कोटि की नेतागिरी पर उतर आया ,वैसे भी वो छुटभैया नेता तो है ही ,अब युवराज ने उसे महल खाली करने कोकहना ही बंद कर दिया ,इसी तरह और पाँच वर्ष बीत गये ,पर वो किसी भी तरह महल छोड़ना नहीं चाहता था अब तो वो खुम ठोककर कहता फिरता की आधा तो लेकर ही छोडेगा ,लोगों से कहता की वो यहाँ से जाने वाला नहीं है,चाहे कोई कितना भी जोर क्योँ ना लगाले
इसी दरम्यान युवराज ने इस महल को दिल्ली विकास प्राधिकरण से लीज होल्ड से फ्री होल्ड अपनी पत्नी के नाम करा लिया और बिजनेस हेतु बैंक से लिमिट बनवा ली ,इस बात का पता जब उसको चला तो वो पागल हो गया और लड़ने मरने के लिए तैयार हो गया और इधर उधर शिकायतें करने लगा

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