प्रत्येक मनुष्य
मेरा नाम सुनकर
कुछ चिड जाता है
उद्विग्न हो जाता है
या जल भुनकर
राख का ढेर
हो जाता है
क्षण भर मनन करने पर
शांत भी हो जाता है
बताओ मैं कौन हूँ
मेरा नाम क्या है
मेरा काम क्या है
शायद सब जानते हैं
पर पहिचानते नहीं
क्यों की कलयुग में
मेरा भजन करने वाला
भूखा या भिकारी ही नहीं
बल्कि दिवालिया बनकर
इस म्रत्यु लोक को छोड़
स्वर्ग सिधार जाता है
जो यह सब जानते हैं
मुझे पहिचानते नहीं
और जान बूझकर
गूंगे बहरे बन जाते हैं
क्यों की मैं
इस सम्रध समाज में
हूँ एक छत की बिमारी
इसीलिए मेरा
बहुचर्चित नाम है
केवल इमानदारी
मंगलवार, 23 दिसंबर 2008
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