बेहाल जिन्दगी
नीरस जिन्दगी को
सरस बना
रसों से श्रंगार कर
वीर रस से
वीरत्व दे
श्रृंगार रस से
संवार कर
सौन्दर्य रस से
दे सौम्यता
नवयौवना
कोमलांगी समझ
नयनाभिराम सा
चित्र बना
प्रेयसी की भांति
उद्धार कर
सुवासित होगा
तेरा उपवन
मत अब तू
संहार कर
निष्प्रयोजन भावों पर
विजय पा
रुद्र रख
संभालकर
भावावेश से
युद्ध कर
विपत्तियों को
डाटकर
सर्व कष्टों का
दान कर
सर्व सुखों का
पान कर
मुस्कराता रह सदैव
भविष्य का
विचार कर
वर्तमान सुधर जायेगा
इस जिन्दगी से
प्यार कर
प्यार कर
शनिवार, 13 दिसंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें