गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

आत्म वध

उधर्व भाग का
अवलोकन कर
स्पंदन पा
चुम्बन कर
नयनाभिराम कर
सुष्ठुता को दरढ़ं कर
किंचित मात्र सा
तर्पण कर
स्वप्नों में खो गया
मध्य भाग का
मंथन कर
घर्षण कर
किंचित सा
अर्पण कर
आत्मविभोर हो
समर्पण कर
वैरागी बन गया
निम्न भाग को
नमन कर
अंगों का
आचमन कर
सिसकियों का
संचारण कर
स्वयम सर्वस्व का
स्खलन कर
फ़िर करता है प्रभंजन
संसय और
अनियमित जीवन

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