मंगलवार, 9 दिसंबर 2008

वो भी तो नारी है

उसकी भ्रकुटी -याँ
चलायमान होने भर से
ब्रह्माण्ड हिल जाता है
पहाड़ टूटने लगते हैं
ज्वालामुखी फूटते हैं
तूफ़ान आ जाते हैं
पेड़ उखड़ने लगते हैं
नदियौं में बाड़ आ जाती है
समुन्द्र में ज्वार भाटा उठता है
मेघ गर्जना करते है
बिजली कड़कने लगती है
आकाश फट जाता है
धरती फट जाती है
दिन में तारे चमकने लगते है
सूर्य चन्द्र निस्तेज हो जाते है
राक्षस विचलित हो जाते है
इन्द्रासन दोल जाता है
पशु पक्षी भयभीत होते हैं
प्रलय हो जाती है
वो कराली है
हाँ वो भी तो नारी है
उसकी मद्धिम मुस्कान से
प्रक्रति चंचल हो जाती है
भांति -भांति के पुष्प खिलते है
आकाश निर्मल हो जाता है
दुग्ध नदियाँ प्रवाहित होती है
समुन्द्र शांत हो जाता है
लावा राख हो जाता है
पशु न्रत्य करते हैं
पक्षी चहकने लगते है
चहुँ तरफ शांती छा जाती है
हरियाली आ जाती है
शीतल बयार बहने लगती है
मेघ सावन में जेसे बरसते हैं
धूप खिल जाती है
चांदनी रातें आ जाती हैं
प्रलय थम सी जाती है
देवियाँ प्रसन्न होती हैं
देव पुष्प अर्पित करते हैं
वो भी तो कराली है
हाँ वो भी तो नारी है







2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत ही खूबसूरती से नारी का वर्णन किया आप ने.
धन्यवाद.

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji ने कहा…

आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ 'ब्लॉग्स पण्डित' पर.
यदि फ़िर भी कोई समस्या हो तो यह लेख देखें -
वर्ड वेरिफिकेशन क्या है और कैसे हटायें ?