शनिवार, 20 दिसंबर 2008

परिस्थितियाँ

परिस्थितियां मानव को
किस प्रकार
दास बना देती हैं
सर्वांग होते हुए भी
विकलांग बना देती हैं
परिस्थितियां ,
अंगों में आ जाती है शिथिलता
वो निष्क्रिय हो जाते हैं
अपना भार उठाने तक में
वो असमर्थ हो जाते हैं
संपूर्ण तन को
कोदग्रस्त बना देती हैं
परिस्थितियां ,
जो कल तक
पर्वत की चोटी देखकर
लांघने का सामर्थ्य रखता था
आज उनकी
ऊंचाई मात्र देखकर
आंखों को नम कर देती हैं
परिथितियाँ ,
जिसने कभी
आंधी तूफानों से भी
हार ना मानी थी
आज शीत लहर के झोंके से
स्वांश उखेड़ देती है
परिस्थितियां ,
जो कल तक समाज को
उपदेश देता था
सत्य और इमानदारी के
शलोक सूना देता था
आज उसी मानव को
नीच कमीना बेईमान
हैवान तक बना देती हैं
परिस्थितियां ,
जिसने कभी किसी को
नतमस्तक ना किया था
अपने सिद्धांतों व आदर्शों का
ना कभी सौदा किया था
आज उसे घुटने टेकने को
मजबूर कर देती हैं
परिस्थितियां ,

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